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बहुत ऐसे कर्ण हुए, जो नियति द्वारा छले गए, खुद का

बहुत ऐसे कर्ण हुए, जो नियति द्वारा छले गए,
खुद का ही वो घर बसाने, घर से दूर चले गए।

क्या-क्या सहा है उन्होंने, क्या अब वर्णन करूं,
बदलाव लाने दुनिया में, खुद ही वह बदले गए।

मिला दुर्योधन सा मित्र,और परशुराम से गुरु मिले,
अपने वचन की रक्षा के लिए,खुद ही वो चले गए।

©Shivaji ke Àlfãzz #Real #Hindi #poem #Poet #Nature 

#alone
बहुत ऐसे कर्ण हुए, जो नियति द्वारा छले गए,
खुद का ही वो घर बसाने, घर से दूर चले गए।

क्या-क्या सहा है उन्होंने, क्या अब वर्णन करूं,
बदलाव लाने दुनिया में, खुद ही वह बदले गए।

मिला दुर्योधन सा मित्र,और परशुराम से गुरु मिले,
अपने वचन की रक्षा के लिए,खुद ही वो चले गए।

©Shivaji ke Àlfãzz #Real #Hindi #poem #Poet #Nature 

#alone