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परिवार, रिश्ते -नाते, दोस्ती सब हैं बंधन उलझा रहता

परिवार, रिश्ते -नाते, दोस्ती सब हैं बंधन
उलझा रहता है,जिसमें हर प्राणी का मन
तृष्णा,ईर्ष्या,भोग,मोह,सबके ये हैं कारक
जीवन की मुक्ति के जो सबसे बड़े मारक।
वृति से पाकर निवर्ति, खुलता मोक्ष द्वार
जीवन यथार्थ हो जाता, हो जाता उद्धार।

©Kamlesh Kandpal
  #Moksh