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अनीता (गतांक से आगे) उन दिनों फेसबुक पर कई सारे गे

अनीता (गतांक से आगे)
उन दिनों फेसबुक पर कई सारे गेम प्रचलित हो चले थे, कई गेम्स ऐसे थे जो आपको अपने किसी मित्र की सहायता से पूरे करने होते थे, में भी ऐसे ही किसी गेम। मे मशगुल था, खेलते खेलते मेरे सारे संसाधन खत्म हो चुके थे और गेम को बंद करने की नौबत आने ही वाली थी.
घड़ी अब अपने कांटो को घुमाते घुमाते चार पर ले आयी थी याने पिछले दो अदद घंटो से मै एक अदद गेम की पारी खेल रहा था जो बस मेरी बोरियत को कम करने की एक छोटी सी कोशिश थी.
कितना सरल है बोरियत से पार पा जाना आजकल, विकल्पों की कोई कमी नहीं चाहे फिर वो इंसान हो या कोई और काम.
और इन विकल्पों की भरमार ने इंसान के दिमाग को ठीक घड़ी के उन्ही कांटो की तरह घुमाया हुए है.. दिशा है पर दिशाहीन.
कुछ ऐसी ही परिस्थिति मेरी भी हो रही थी गेम बंद होने की कगार पर था काम कुछ खास नहीं, साथी मेरा सो चुका था, बिग बॉस की नज़रे बचा कर। 
मैंने एक बार फिर से आटे में नमक जितनी बेईमानी करने की हिमाकत कर ही ली और गेम में किसी तरह का चीट कोड ढूंढने लगा.
मेहनत रंग लाई और मुझे एक तरीका मिला. थी तो वो बेईमानी लेकिन ईमानदारी के साथ।
तरीका कुछ यूं था कि मुझे उस गेम के फैन पेज पर जा कर मदद की मांग करनी थी, मैने की और मदद  इंतज़ार में मै फेसबुक पर आने वाली हर एक चीज़ को बड़े ध्यान से चाव से पढ़ने लगा
नोटिफिकेशन आया
वो एक फ्रेंड रिक्वेस्ट थी
नाम था 
अनीता
(क्रमशः)  #ekkahanikishtomein #syahi #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqtales #bestyqhindiquotes
अनीता (गतांक से आगे)
उन दिनों फेसबुक पर कई सारे गेम प्रचलित हो चले थे, कई गेम्स ऐसे थे जो आपको अपने किसी मित्र की सहायता से पूरे करने होते थे, में भी ऐसे ही किसी गेम। मे मशगुल था, खेलते खेलते मेरे सारे संसाधन खत्म हो चुके थे और गेम को बंद करने की नौबत आने ही वाली थी.
घड़ी अब अपने कांटो को घुमाते घुमाते चार पर ले आयी थी याने पिछले दो अदद घंटो से मै एक अदद गेम की पारी खेल रहा था जो बस मेरी बोरियत को कम करने की एक छोट
अनीता (गतांक से आगे)
उन दिनों फेसबुक पर कई सारे गेम प्रचलित हो चले थे, कई गेम्स ऐसे थे जो आपको अपने किसी मित्र की सहायता से पूरे करने होते थे, में भी ऐसे ही किसी गेम। मे मशगुल था, खेलते खेलते मेरे सारे संसाधन खत्म हो चुके थे और गेम को बंद करने की नौबत आने ही वाली थी.
घड़ी अब अपने कांटो को घुमाते घुमाते चार पर ले आयी थी याने पिछले दो अदद घंटो से मै एक अदद गेम की पारी खेल रहा था जो बस मेरी बोरियत को कम करने की एक छोटी सी कोशिश थी.
कितना सरल है बोरियत से पार पा जाना आजकल, विकल्पों की कोई कमी नहीं चाहे फिर वो इंसान हो या कोई और काम.
और इन विकल्पों की भरमार ने इंसान के दिमाग को ठीक घड़ी के उन्ही कांटो की तरह घुमाया हुए है.. दिशा है पर दिशाहीन.
कुछ ऐसी ही परिस्थिति मेरी भी हो रही थी गेम बंद होने की कगार पर था काम कुछ खास नहीं, साथी मेरा सो चुका था, बिग बॉस की नज़रे बचा कर। 
मैंने एक बार फिर से आटे में नमक जितनी बेईमानी करने की हिमाकत कर ही ली और गेम में किसी तरह का चीट कोड ढूंढने लगा.
मेहनत रंग लाई और मुझे एक तरीका मिला. थी तो वो बेईमानी लेकिन ईमानदारी के साथ।
तरीका कुछ यूं था कि मुझे उस गेम के फैन पेज पर जा कर मदद की मांग करनी थी, मैने की और मदद  इंतज़ार में मै फेसबुक पर आने वाली हर एक चीज़ को बड़े ध्यान से चाव से पढ़ने लगा
नोटिफिकेशन आया
वो एक फ्रेंड रिक्वेस्ट थी
नाम था 
अनीता
(क्रमशः)  #ekkahanikishtomein #syahi #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqtales #bestyqhindiquotes
अनीता (गतांक से आगे)
उन दिनों फेसबुक पर कई सारे गेम प्रचलित हो चले थे, कई गेम्स ऐसे थे जो आपको अपने किसी मित्र की सहायता से पूरे करने होते थे, में भी ऐसे ही किसी गेम। मे मशगुल था, खेलते खेलते मेरे सारे संसाधन खत्म हो चुके थे और गेम को बंद करने की नौबत आने ही वाली थी.
घड़ी अब अपने कांटो को घुमाते घुमाते चार पर ले आयी थी याने पिछले दो अदद घंटो से मै एक अदद गेम की पारी खेल रहा था जो बस मेरी बोरियत को कम करने की एक छोट