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आज स्यान है सूरज किंचित सकल दिशाएं बुझी - बुझी हैं

आज स्यान है सूरज किंचित
सकल दिशाएं बुझी - बुझी हैं
एक अलख! शून्य के पथ पर
भंग अभ्यार्थनाएं बिखरी हैं
करती हैं चीत्कार हवाएं
मौन समय सुनता जाता है
प्राण - प्राण को अकुलाता है
ईश्वर तेरा क्या जाता है?
नय था तेरे आगे मस्तक
विश्वनाथ! तू कहलाता है
शीश झुकाए सदय सदा
जग जीवन शरण तेरी आता है
ईश! तेरी वांछा श्रद्धा है
विगलित करुणा दर्शाता है
देवत्व! भव्य तेरा विशाल
ममता की समता कर पाता है?
हे वैद्यनाथ! असमय अतंर्घात!
असहाय! समय भी कहां भर पाता है
प्रतीचि पवन के छू लेने से
अंतर का दंश विकल जाता है



 
 #toyou#helplessness#yqtime#yqfate#💓mummy😣😣😥😥
आज स्यान है सूरज किंचित
सकल दिशाएं बुझी - बुझी हैं
एक अलख! शून्य के पथ पर
भंग अभ्यार्थनाएं बिखरी हैं
करती हैं चीत्कार हवाएं
मौन समय सुनता जाता है
प्राण - प्राण को अकुलाता है
ईश्वर तेरा क्या जाता है?
नय था तेरे आगे मस्तक
विश्वनाथ! तू कहलाता है
शीश झुकाए सदय सदा
जग जीवन शरण तेरी आता है
ईश! तेरी वांछा श्रद्धा है
विगलित करुणा दर्शाता है
देवत्व! भव्य तेरा विशाल
ममता की समता कर पाता है?
हे वैद्यनाथ! असमय अतंर्घात!
असहाय! समय भी कहां भर पाता है
प्रतीचि पवन के छू लेने से
अंतर का दंश विकल जाता है



 
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