एक दिन पड़ोस का हरयाणवी छोरा आ के बोल्या, “रे चाचा, अपनी इस्त्री दे दे… ” चाचा ने अपनी जनानी की ओर इसारा करया और बोला- “ले जा, वा बैठी… ” छोरा चुप चाप देखन लाग्या… बोला- “चाचा यो नहीं, कपडे वाली..” चाचा बोल्या- “भले मानस, यो तन्ने बगेर कपड़े दिखे है के ? ” छोरा गुस्से में चीखा- “रा चाचा बावला ना बन, करंट वाली इस्त्री…” चाचा– “बावले, हाथ ते लगा के देख… जे ना मारे करंट, फेर कहिये…” ©M singh sare bhaiyon support kro #Hope #chutkle