मंज़िल दूर है तो क्या। मेरे तरकश भी न्यारे है। समंदर है अथाह लेकिन, मगर उस के भी किनारे है। जो साथ दे नही सकते। वो घर पर ही रहे बैठे। पेड़ रस्ते के ना काटे । जो मुसाफ़िर के सहारे है। ताहिर।।। #मूसाफिर