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एबॉर्शन सुबह सुबह ही सुधा अपनी सास के साथ डॉक्टर

 एबॉर्शन


सुबह सुबह ही सुधा अपनी सास के साथ डॉक्टर के पास चेकअप के लिए आई थी. डॉक्टर जब सुधा की जांच कर रही थी तभी पीछे से प्रेमा बोली “देख री सुधा मुझे तो पोता ही चाहिए अभी से बोल देती हूँ और अगर लड़की हुई तो एबॉर्शन करवा देंगे.” इससे पहले की सुधा कुछ कहती डॉक्टर ने ही बोल दिया- “माँ जी अगर लड़की से इतनी नफरत है तो मेरे पास क्यों आयी है मैं भी तो एक औरत हूँ, आपकी बहू भी तो एक औरत ही है और तो और आप भी तो एक औरत है.” न जाने कैसे समझाया जाए आप लोगो को…..
प्रेमा ने फिर कुछ न कहा सुधा को ले कर घर आ गयी. धीरे धीरे वक़्त बीत रहा था और प्रेमा के ताने बढ़ रहे थे. ये बात राकेश से भी न छुपी थी पर हिम्मत न कर सका के अपनी माँ से कुछ कहे.
फिर वही हुआ जिस बात से सुधा डर रही थी. उसके घर एक लड़की ने जन्म लिया, रही बची खुशियां भी सास के तानो ने छीन ली थी. वक़्त गुज़रता गया और सुधा की बेटी भी बड़ी हो रही थी.
अभी सिर्फ पाँच साल ही बीते थे के सुधा के घर एक और बेटी ने जन्म ले लिया. इस दफ़ा तो प्रेमा ने राकेश को सुधा को तलाक देने तक के लिए कह दिया, और राकेश ने भी प्रेमा की बात को मान कर सुधा को तलाक दे दिया. सुधा भी अपनी दोनों बेटियों के साथ दूसरी जगह रहने लगी वक़्त बीतता गया और एक दिन एक रोड एक्सीडेंट में प्रेमा घायल हो गयी. उसको पास के हॉस्पिटल में ले ले जाया गया. उसके इलाज करने वाली डॉक्टर को प्रेमा ने बहुत दुआएं दी के उसने उसकी जान बचाली. जब प्रेमा अपने घर जाने को सामान बाँध रही थी तभी डॉक्टर को एक महिला से बात करते हुए देखा. प्रेमा ने जब डॉक्टर से उस महिला के लिए पूछा तो डॉक्टर ने बस इतना कहा के ऊपरवाले को धन्यवाद बोलिये जो इन्होंने आपकी बात मान कर एबॉर्शन नही करवाया था वरना आज आप शायद मुझसे बात न कर रही होती.
VAIBHAV VERMA
 एबॉर्शन


सुबह सुबह ही सुधा अपनी सास के साथ डॉक्टर के पास चेकअप के लिए आई थी. डॉक्टर जब सुधा की जांच कर रही थी तभी पीछे से प्रेमा बोली “देख री सुधा मुझे तो पोता ही चाहिए अभी से बोल देती हूँ और अगर लड़की हुई तो एबॉर्शन करवा देंगे.” इससे पहले की सुधा कुछ कहती डॉक्टर ने ही बोल दिया- “माँ जी अगर लड़की से इतनी नफरत है तो मेरे पास क्यों आयी है मैं भी तो एक औरत हूँ, आपकी बहू भी तो एक औरत ही है और तो और आप भी तो एक औरत है.” न जाने कैसे समझाया जाए आप लोगो को…..
प्रेमा ने फिर कुछ न कहा सुधा को ले कर घर आ गयी. धीरे धीरे वक़्त बीत रहा था और प्रेमा के ताने बढ़ रहे थे. ये बात राकेश से भी न छुपी थी पर हिम्मत न कर सका के अपनी माँ से कुछ कहे.
फिर वही हुआ जिस बात से सुधा डर रही थी. उसके घर एक लड़की ने जन्म लिया, रही बची खुशियां भी सास के तानो ने छीन ली थी. वक़्त गुज़रता गया और सुधा की बेटी भी बड़ी हो रही थी.
अभी सिर्फ पाँच साल ही बीते थे के सुधा के घर एक और बेटी ने जन्म ले लिया. इस दफ़ा तो प्रेमा ने राकेश को सुधा को तलाक देने तक के लिए कह दिया, और राकेश ने भी प्रेमा की बात को मान कर सुधा को तलाक दे दिया. सुधा भी अपनी दोनों बेटियों के साथ दूसरी जगह रहने लगी वक़्त बीतता गया और एक दिन एक रोड एक्सीडेंट में प्रेमा घायल हो गयी. उसको पास के हॉस्पिटल में ले ले जाया गया. उसके इलाज करने वाली डॉक्टर को प्रेमा ने बहुत दुआएं दी के उसने उसकी जान बचाली. जब प्रेमा अपने घर जाने को सामान बाँध रही थी तभी डॉक्टर को एक महिला से बात करते हुए देखा. प्रेमा ने जब डॉक्टर से उस महिला के लिए पूछा तो डॉक्टर ने बस इतना कहा के ऊपरवाले को धन्यवाद बोलिये जो इन्होंने आपकी बात मान कर एबॉर्शन नही करवाया था वरना आज आप शायद मुझसे बात न कर रही होती.
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