सुनो... कुछ लम्हे तुम्हारे साथ चाहिए, बैठ किनारो पर हाथों मे हाथ चाहिए, अगर आओ उस दिल वाले शहर से होकर तुम, तो तोहफे मे दिल्ली वाला झुमका चाहिए, मेरी आँखों मे जो तस्वीर है तुम्हारी, सुनो उसे और सवारने के लिए, भोपाली सुरमा चाहिए, यूँ खूबसूरती तो होंठो की मुस्कान से जगज़ाहिर है, सुनो वो गज़ब की लाली के लिए बनारस का पान चाहिए, और लखनऊ सी नवाबी है मेरे चाँद की, सुनो ता-उम्र के लिए क्या उस चाँद की चाँदनी बन सकती हूँ मै ?, ये एतबार मुझे तुम्हरी ज़ुबानी चाहिए... ये एतबार मुझे तुम्हारी ज़ुबानी चाहिए....