होती है तेरे नाम से वहशत कभी कभी.. बरहम हुई है यूं भी तबियत कभी कभी.. ऐ यार हमने तर्के मोहब्बत के बावजूद.. महसूस की है तेरी ज़रूरत कभी कभी.. ©Arshad Raja Tark-E-Mohabbat................ Junhaai मतलबी शायर