बे-इंतिहा मोहब्बत है तुमसे, नहीं ख़बर कबसे, आज कहता हूँ दिल से , सारा जहाँ है तुमसे। ये नज़र,ये लब,ये ज़ुल्फ़-ओ-लट, उफ़ क़यामत, ये शाम, तेरी बाहें, उनमें मैं, दफ़ा हर शराफ़त। किसी टूटे तारे की मन्नत, या है कोई दुआ तू, पसंदीदा इस ज़िन्दगी का कोई हादसा हुआ तू। सावन की बारिश है, मुझे हमदम तेरा साथ है, एहसासों की बाढ़ है, और साँसे भी हुई आग है। यूँ ही तुम मिलते जुलते रहो, हबीब मेरे क़रीब रहो, सुनहरी सी तक़दीर की हरदम तुम्हीं तक़रीब रहो। ♥️ Challenge-959 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।