आज जमीं है ,कल चाँद का घर होगा चम-चमचमाता चाँदनी का बिस्तर होगा तारों का तकिया लगाकर तू सोना सपने में तेरे खुला अम्बर होगा आज जमीं है कल चाँद का घर होगा रोटी सूखी , रीती दूध की प्याली होँठ सूखे पेट भी तेरा है खाली डुबाके खाले कि, पड़ी ये पानी प्याली सोजा कि, निंदिया में दूध भर भर होगा आज जमीं है ,.कल चाँद का घर होगा माना कि, दुनिया बड़ा महँगा बाजार है ज़मीं पर हक़ीकी पैसों की दरकार है यकीं कर कि , सपनों पे ना कोई कर होगा आज ज़मीं है , कल चाँद का घर होगा चमचमाता चाँदनी का बिस्तर होगा ©Aurv Vishal #आज_ज़मीं_कल_चाँद_का_घर_होगा #और्वविशाल #poor