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आज जो बूढ़ी अम्मा नहीं दिखी तो मैं बहुत परेशान हो

आज जो बूढ़ी अम्मा नहीं दिखी तो मैं बहुत परेशान हो गई मैं चारों तरफ उन्हें ढूंढने लगी लोगों से पूछने लगी जो बुढ़िया मां बैठती थी वह कहां पर है मैं अक्सर हफ्ते में एक दिन मंदिर जाया करती हूं वहां रास्ते में एक बूढ़ी अम्मा दिखाई देती थी जो आगे कटोरा लेकर बैठी थी उनका कोई भी नहीं था वह कहती थी मेरा कोई नहीं है आते जाते लोग जिसका मन हुआ कुछ खाने को कुछ पैसे कुछ कपड़े दे दिया करते थे मेरा भी उनसे काफी लगाव हो गया था मैं भी जब भी मंदिर जाती हूं उनके लिए कुछ ले जाती उधर से आती तो प्रसाद देकर चली आती आज वह दिखाई नहीं दे रही थी मैं बहुत आश्चर्यचकित होकर चारों तरफ ढूंढ रही ना ही मुझे मंदिर दिख रहा था ना ही मंदिर में बैठे भगवान मुझे दिख रही थी तो बस वह नानी अम्मा जो अब वहां नहीं थे थोड़ा पता करने पर मालूम हुआ कि कल रोड की नापाइ हो रही थी तो  कुछ लोग उनको वहां से हटा कर ले गए थे वहां से उनको भगा दिया गया वह कहां है किसी को नहीं पता उनकी बातें इतनी अच्छी होती थी मानो रस की गगरी मिली हो वह  जवान होंगे तो कितनी सुंदर होगी उनकी आंखें जो जो आज भी कितनी गहरी दिखाई देती हैं कितना कुछ कहना चाहती थी लेकिन कुछ नहीं कहा और पता नहीं कहां चली गई मैंने बहुत पता लगाने की कोशिश की पर कहीं उनका पता नहीं चला मुझे ऐसा लगा मानो मेरे परिवार से एक मेरी नानी अम्मा चली गई हो वह हमेशा कहती थी बेटा थोड़ी देर बैठना एक बात बतानी है और मैं कहती  ठीक है कल बैठूंगी कहते कहते यह वक्त निकल गया ना मैं बैठ पाए और ना उनकी बात सुन पाई मैं उसके लिए कभी भी खुद को माफ़ नहीं करती हूं काश एक बार उनके पास बैठकर बातें सुनते आख़िर उनको अपनों से और परिवार से इतनी नफरत क्यों थी कि वहां बैठी रहती थी मंदिर के पास भी नहीं मंदिर से पहले अक्सर देखा गया है कि मंदिर के सामने बहुत सारे लोग बैठे रहते थे लेकिन वहां मंदिर के सामने कभी नहीं बैठती थी मंदिर से कुछ दूरी के पहले ही बैठी थी
मैं उन्हें हमेशा याद करूंगी
anju

©Anju Dubey dadi Maa
आज जो बूढ़ी अम्मा नहीं दिखी तो मैं बहुत परेशान हो गई मैं चारों तरफ उन्हें ढूंढने लगी लोगों से पूछने लगी जो बुढ़िया मां बैठती थी वह कहां पर है मैं अक्सर हफ्ते में एक दिन मंदिर जाया करती हूं वहां रास्ते में एक बूढ़ी अम्मा दिखाई देती थी जो आगे कटोरा लेकर बैठी थी उनका कोई भी नहीं था वह कहती थी मेरा कोई नहीं है आते जाते लोग जिसका मन हुआ कुछ खाने को कुछ पैसे कुछ कपड़े दे दिया करते थे मेरा भी उनसे काफी लगाव हो गया था मैं भी जब भी मंदिर जाती हूं उनके लिए कुछ ले जाती उधर से आती तो प्रसाद देकर चली आती आज वह दिखाई नहीं दे रही थी मैं बहुत आश्चर्यचकित होकर चारों तरफ ढूंढ रही ना ही मुझे मंदिर दिख रहा था ना ही मंदिर में बैठे भगवान मुझे दिख रही थी तो बस वह नानी अम्मा जो अब वहां नहीं थे थोड़ा पता करने पर मालूम हुआ कि कल रोड की नापाइ हो रही थी तो  कुछ लोग उनको वहां से हटा कर ले गए थे वहां से उनको भगा दिया गया वह कहां है किसी को नहीं पता उनकी बातें इतनी अच्छी होती थी मानो रस की गगरी मिली हो वह  जवान होंगे तो कितनी सुंदर होगी उनकी आंखें जो जो आज भी कितनी गहरी दिखाई देती हैं कितना कुछ कहना चाहती थी लेकिन कुछ नहीं कहा और पता नहीं कहां चली गई मैंने बहुत पता लगाने की कोशिश की पर कहीं उनका पता नहीं चला मुझे ऐसा लगा मानो मेरे परिवार से एक मेरी नानी अम्मा चली गई हो वह हमेशा कहती थी बेटा थोड़ी देर बैठना एक बात बतानी है और मैं कहती  ठीक है कल बैठूंगी कहते कहते यह वक्त निकल गया ना मैं बैठ पाए और ना उनकी बात सुन पाई मैं उसके लिए कभी भी खुद को माफ़ नहीं करती हूं काश एक बार उनके पास बैठकर बातें सुनते आख़िर उनको अपनों से और परिवार से इतनी नफरत क्यों थी कि वहां बैठी रहती थी मंदिर के पास भी नहीं मंदिर से पहले अक्सर देखा गया है कि मंदिर के सामने बहुत सारे लोग बैठे रहते थे लेकिन वहां मंदिर के सामने कभी नहीं बैठती थी मंदिर से कुछ दूरी के पहले ही बैठी थी
मैं उन्हें हमेशा याद करूंगी
anju

©Anju Dubey dadi Maa
anjudubey9942

Anju Dubey

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