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*** कविता *** *** तड़प उठे *** " मैं तड़प उठे ह

*** कविता *** 
*** तड़प उठे *** 

" मैं तड़प उठे हैं अभी इसी अंदाज़ में रहने दें ,
अब की मुझे तेरी आरज़ू में रहना हैं ,
कोई ख्यालों को बेहतर ख्बाव दे , 
ख्यालों से परे कोई तो हकीकत दे , 
रहू मैं उलझा इस ख्याल में कब तक ,
कभी तेरे होठों की प्यास मेरे लवों से ले , 
तमन्ना आरज़ू तू बता तो सही ,
तड़प उठे हैं कि आरज़ू ख्बाव लिये बैठे हैं ,
अपने जुस्तजू तेरे नाम किये बैठे हैं . "

                                 --- रबिन्द्र राम  *** कविता *** 
*** तड़प उठे ***
*** कविता *** 
*** तड़प उठे *** 

" मैं तड़प उठे हैं अभी इसी अंदाज़ में रहने दें ,
अब की मुझे तेरी आरज़ू में रहना हैं ,
कोई ख्यालों को बेहतर ख्बाव दे , 
ख्यालों से परे कोई तो हकीकत दे , 
रहू मैं उलझा इस ख्याल में कब तक ,
कभी तेरे होठों की प्यास मेरे लवों से ले , 
तमन्ना आरज़ू तू बता तो सही ,
तड़प उठे हैं कि आरज़ू ख्बाव लिये बैठे हैं ,
अपने जुस्तजू तेरे नाम किये बैठे हैं . "

                                 --- रबिन्द्र राम  *** कविता *** 
*** तड़प उठे ***