ढ़ल जायेगें ये हुश्न पड़ जायेगे झुर्रिया तेरे चेहरे पर समय के साथ साथ बदल जायेगे हर इक रौनके नूर सूबसूरती ... पर फिर भी चाहूँगा तूझे परियों की तरह ... चूमता रहूँगा तेरे हाथ अपने लबों से ताऊम्र !! -एस के सिद्धार्थ