Nojoto: Largest Storytelling Platform

सौ बार धकेला जाऊंगा मैं इस बहती धारा के जल में, तै

सौ बार धकेला जाऊंगा मैं इस बहती धारा के जल में, तैर निकल आऊंगा सुविधा के किसी पल में।
हर बार जलाया जाऊंगा मैं दीप्त इस आग प्रजल में, 
जिंदा ही निकलूंगा मैं इस तपती जलती अनल मे। 
मै आज बन के उभरूँगा छोड़ आये जो बीते हुए कल में। #resurgence#ऊफान
सौ बार धकेला जाऊंगा मैं इस बहती धारा के जल में, तैर निकल आऊंगा सुविधा के किसी पल में।
हर बार जलाया जाऊंगा मैं दीप्त इस आग प्रजल में, 
जिंदा ही निकलूंगा मैं इस तपती जलती अनल मे। 
मै आज बन के उभरूँगा छोड़ आये जो बीते हुए कल में। #resurgence#ऊफान