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हम छुपकर जिसे देखा करते रोज। आज वो खुद मेरी ओर आ र

 हम छुपकर जिसे देखा करते रोज।
आज वो खुद मेरी ओर आ रही है।।
ये पल बड़ा धीरे गुजर रहा है जैसे।
सुबह की रोशनी आसमान पर छा रही है।।

नजरे झुकाए होठो को छुपाए।
जाने क्यों वो इतना शर्म आ रही है।।
कुछ तो जरूर होना है आज यारों।
 हम छुपकर जिसे देखा करते रोज।
आज वो खुद मेरी ओर आ रही है।।
ये पल बड़ा धीरे गुजर रहा है जैसे।
सुबह की रोशनी आसमान पर छा रही है।।

नजरे झुकाए होठो को छुपाए।
जाने क्यों वो इतना शर्म आ रही है।।
कुछ तो जरूर होना है आज यारों।
bydreampost5722

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