जिसने बनाया समाज को मुँह दिखाने के काबिल , आज उन्हीं बदचलन ,बेहया औरतों का हाल बुरा है । न खाने को है दो वक्त की रोटी, न किसी अशरफुल मख़लूक़ात लोगों की कोई रहमत .......... एक बार को लगा कोई आएगा सामने मसीहा बनकर , फिर अंतर्मन की चीख निकली -अरे जाने भी दो आबरू के ठेकेदारों , जानते हैं हम उम्मीद रखने का ये ख्याल बुरा है। अब तक सौदा करते आये हम , कभी अपने जिस्म का तो कभी अपनी तड़पती आत्मा का ....... अपना सब कुछ बेचकर तमाम हवसी दरिंदों से की तुम्हारे बहु बेटियों की रक्षा .......आज जब मुश्किल आन पड़ी और हमने अपने हक के लिए उठायी आवाज ,तो जनाब आप कहते हैं कि ये सवाल बुरा है ????? - नित्या #सेक्स वर्कर्स