दूर होता हुँ घर से तो दिल से आबाज लगाती है , एक बहन ही तो है जो हर रिश्ते बखूबी निभाती है। कभी माँ बनकर प्यार जताती है,कभी पिता बनकर फटकार लगाती है । एक बहन ही तो है जो हर रिश्ते बखूबी निभाती है। कभी भाई बनकर चेहरे पर मुस्कान लाती है कभी दोस्त बनकर हर राज जान जाती है। एक बहन ही तो है जो हर रिश्ते बखूबी निभाती है । कभी दूर हो तो फोन करके सताती है,दिल में छुपा हर दर्द जान जाती है। एक बहन ही तो है जो हर रिश्ते बखूबी निभाती है । कभी लड़ती है झगड़ी है फिर मान भी जाती है , एक बहन ही तो है जो हर रिश्ते बखूबी निभाती है। pyari bhna