काल पूछता है मुझसे यह तूने क्या अनर्थ कर दिया? हाँ, मैंने स्वजातिधर्म हेतु सर्वस्व न्यौछावर कर दिया! जिसने शस्यश्यामला धरती में विष बीज थे बोये, जिसने स्वयं कि प्रतिष्ठा हेतु द्वेष के हार थे पिरोये, जिसने निकृष्ट पशुओं को शक्ति देने के स्वप्न थे संजोये, मैंने उस विषधर का फन कुचल लहू से तर कर दिया... हाँ, मैंने स्वजातिधर्म हेतु सर्वस्व न्यौछावर कर दिया! एक समय उसे सबकी तरह मैं भी महात्मा कहता था, वह लाठी लिये चल पड़ता, मैं भी पीछे पीछे रहता था, वह यवनों के उत्थान को प्रेरित करता था, मैं बहता था, यथार्थ समझते ही मैंने उसका सीना बारूद से भर दिया हाँ, मैंने स्वजातिधर्म हेतु सर्वस्व न्यौछावर कर दिया! जब हिंदुत्व के लिए उसके धूर्त मन में मैंने घृणा पाई, जब मेरी व्यथित माँ पर विभाजन रूपी विपदा आई, जब बहरूपिये नेहरू ने प्रधानमंत्री की पदवी हथियाई, मैंने विवेकवान हिंदू समाज में अपना नाम अमर कर दिया, हाँ, मैंने स्वजातिधर्म हेतु सर्वस्व न्यौछावर कर दिया! ज्ञात है वर्षों तक शत्रु नहीं मेरी चर्चा तक का अवसर देगा, मेरी छवि को उस गांधी का वंश धूलधसरित कर देगा, पर कभी न कभी मेरा बलिदान वीरों में उर्जा भर देगा, मैंने भगवे को सदा के लिए अपना ऋणी भर कर दिया, हाँ, मैंने स्वजातिधर्म हेतु सर्वस्व न्यौछावर कर दिया! ©Shubhro K #godse