जिंदगियों में ज़हर घोल रहा हैं आज का ज़माना ! शान में शुमार कैंसर कारक प्रवृतियां अपनाना !! प्लास्टिक की जल बोतलें हो या काग़ज़ के कप ! इनका अधिकाधिक उपयोग कर रहें हैं हम सब !! आटे-चावल सहित जानें कहां कहां घुसा प्लास्टिक ! बीमारियां आमंत्रित करता और निसर्ग करता दूषित !! राजनेताओं ने इन दशकों में शर्म लाज बेच खाई है ! बोली लगाके आबरू लीज पे देने की ख़बर आई है !! खुलेआम बलात्कारियों के सत्कार के इनके कुसंस्कार ! तीन से अस्सी साल तक की उम्र पे हो रहे हैं बलात्कार !! बाबाओं के रूप में अपराधियों की बढ़ रही तादाद ! सामदाम दण्ड़ भेद से भोलेभालों को करते बरबाद !! पढ़ाई मंहगी इतनी कि बूते से होने लगी बाहर ! पढ़ लिख लें तो भी न मिलता ढ़ंग का रोज़गार !! युवाओं को जुए नशे परोसे जा रहे प्रचार प्रसार कर ! चंगुल में फंस युवा बोझ बनते जा रहे घर संसार पर !! अंधविश्वास स्वार्थ कुसंस्कार कूट कूट के भरे जा रहे ! समय पे पाणिग्रहण के समाचार कभी कभार आ रहे !! युवाओं की न संतान में रुचि न माँ बाप सेवा का मन ! शैतानियों भरे जीवन गुजारने के दौर से गुज़र रहे हम !! हे राम, हे कृष्ण... स्वप्न में भी नहीं दिखता जनहित जश्न... - आवेश हिंदुस्तानी 28.10.2024 ©Ashok Mangal #AaveshVaani #JanMannKiBaat