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फिर एक जादूगर ऐसा आया जिससे मैने प्रतिभा को पाया ग

फिर एक जादूगर ऐसा आया
जिससे मैने प्रतिभा को पाया
गोविंद मिलाए के अंतर जागा
जब ये तन गुरु संगत पाया ।
हो अंकों की चाहे भूल भुलैया
या शब्दों का हो कैसे मेल 
क्या हैं इस जीवन का मकसद
क्या संजीदा क्या बस खेल।
ये जादूगर हर मंजिल मेरी
ये ही नौका की है पतवार
मेरी प्रतिभा को चमकाकर
दिया मुझे थी जिस की दरकार।
जो एक बीज अंकुरित पादप बन
लगे आज एक वृक्ष सा व्यापक
इस जादू को जो सार्थक करते
वो जादूगर सब मेरे अध्यापक ।।

जारी है.......

©Dinesh Paliwal #adhyapak #manzil
फिर एक जादूगर ऐसा आया
जिससे मैने प्रतिभा को पाया
गोविंद मिलाए के अंतर जागा
जब ये तन गुरु संगत पाया ।
हो अंकों की चाहे भूल भुलैया
या शब्दों का हो कैसे मेल 
क्या हैं इस जीवन का मकसद
क्या संजीदा क्या बस खेल।
ये जादूगर हर मंजिल मेरी
ये ही नौका की है पतवार
मेरी प्रतिभा को चमकाकर
दिया मुझे थी जिस की दरकार।
जो एक बीज अंकुरित पादप बन
लगे आज एक वृक्ष सा व्यापक
इस जादू को जो सार्थक करते
वो जादूगर सब मेरे अध्यापक ।।

जारी है.......

©Dinesh Paliwal #adhyapak #manzil