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कुछ बातें थी मन के कोने, कुछ रक्खी थी तले बिछौने,

कुछ बातें थी मन के कोने,
कुछ रक्खी थी तले बिछौने,
कुछ जो उसको ना बतलाई;
कुछ उसके जो मन ना भाई ।
जान रही वो भी मन उसका, 
सोच समझ सब गुनती थी,
बिना कहे उसके भी कितने ,
कंकड पग चुभते चुनती थी ,
एक दीवाना किस्सा कहता,
एक दिवानी सुनती थी ।

©Dinesh Paliwal #मन #bichhona
कुछ बातें थी मन के कोने,
कुछ रक्खी थी तले बिछौने,
कुछ जो उसको ना बतलाई;
कुछ उसके जो मन ना भाई ।
जान रही वो भी मन उसका, 
सोच समझ सब गुनती थी,
बिना कहे उसके भी कितने ,
कंकड पग चुभते चुनती थी ,
एक दीवाना किस्सा कहता,
एक दिवानी सुनती थी ।

©Dinesh Paliwal #मन #bichhona