ज़िंदगी भी क्या कमाल है जवाब से ज्यादा सवाल है, : आहिस्ता चल ज़िन्दगी अभी कुछ कर्ज चुकाना बाकी हैं कुछ फर्ज निभाना बाकी है, रफ्तार में तेरे चलने से, कुछ रूठ गए कुछ छूट गये, रूठों को मनाना बाकी है,रोतो को हंसाना बाकी है, कुछ रिश्ते बन कर, टूट गए कुछ जुड़ते जुड़ते छूट गये,उन टूटे छूटे रिश्तों के ज़ख्मों को मिटाना बाकी है, कुछ हसरतें अभी अधूरी है कुछ काम भी जरूरी हैं जीवन की उलझी पहेली को पूरा सुलझाना बाकी है,जब सांसों का थम जाना है, फिर क्या खोना,क्या पाना है, आहिस्ता चल जिन्दगी,अभी कुछ कर्ज चुकाना बाकी है...