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समझ कर ज़िन्दगी उसको, ज़रा सी भूल क्या कर दी..! मेरी

समझ कर ज़िन्दगी उसको, ज़रा सी भूल क्या कर दी..!
मेरी साँसों के चलने का, किराया मांगते हैं वो..!!

जो कर बैठे खता कोई, सजा ये फिर भी ज्यादा थी...!
ज़हर देकर, गुनाहों का सफाया, मांगते हैं वो..!!

सुना है पूंछ लेते हैं, रज़ा मरने से पहले ही..!
रजा पूँछी मगर उसने, दफ़न करने से पहले ही..!!

समझ कर आसरा ज़िसकोे, हवाले अपनी जां कर दी..!
उन्हीं साँसों की रूख़सत का, नजारा मांगते हैं वो..!!
#Anil_kr...@selfwritten #Saanso_ka_kiraaya
समझ कर ज़िन्दगी उसको, ज़रा सी भूल क्या कर दी..!
मेरी साँसों के चलने का, किराया मांगते हैं वो..!!

जो कर बैठे खता कोई, सजा ये फिर भी ज्यादा थी...!
ज़हर देकर, गुनाहों का सफाया, मांगते हैं वो..!!

सुना है पूंछ लेते हैं, रज़ा मरने से पहले ही..!
रजा पूँछी मगर उसने, दफ़न करने से पहले ही..!!

समझ कर आसरा ज़िसकोे, हवाले अपनी जां कर दी..!
उन्हीं साँसों की रूख़सत का, नजारा मांगते हैं वो..!!
#Anil_kr...@selfwritten #Saanso_ka_kiraaya