वो एक आख़िरी मुलाकात सनम से, हम पर कहर बरपा गई। सजाए सारे ख्वाबों के महलों को, एक - एक करके ढहा गई। चाहते रहे जिसे हम उम्र भर शाम-ओ-पहर, अपना समझ कर। खुद को किसी और की चाहत है, बताके हम पर सितम ढा गई। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को रचना का सार..📖 के प्रतियोगिता :- 150 में स्वागत करता है..🙏🙏 *आप सभी 4 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।