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तेरी गलियों में दर्द पुराना निहाँ रखा है ,

तेरी  गलियों  में  दर्द  पुराना  निहाँ  रखा  है ,
बीते  दिनों  की  ख़ाक  छानता  एक  जहाँ है।

आस मर गई और प्यार पाने की प्यास मर गई,
पर किताबों से झाँकता  इक़  ग़ुलाब ज़िन्दा है।

मेरे हाथों को तेरे हाथों की छुअन अब न याद रही,
ख़ालीपन  की  कसक  ही  कुछ  ज़्यादा  है।

तेरी गलियारों के चौराहों के बाद क़दम बढ़ते नहीं,
क्या  करुँ  शायद  ये फ़ासिला ही बे अंदाज़ा  है।

मुहब्बत की बेपनाह पर तुझसे बहुत नाउम्मीदी है,
लुटाया ख़ुद को तुझपर, हुआ तू कब ही हमारा है।— % & ♥️ Challenge-881 #collabwithकोराकाग़ज़

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तेरी  गलियों  में  दर्द  पुराना  निहाँ  रखा  है ,
बीते  दिनों  की  ख़ाक  छानता  एक  जहाँ है।

आस मर गई और प्यार पाने की प्यास मर गई,
पर किताबों से झाँकता  इक़  ग़ुलाब ज़िन्दा है।

मेरे हाथों को तेरे हाथों की छुअन अब न याद रही,
ख़ालीपन  की  कसक  ही  कुछ  ज़्यादा  है।

तेरी गलियारों के चौराहों के बाद क़दम बढ़ते नहीं,
क्या  करुँ  शायद  ये फ़ासिला ही बे अंदाज़ा  है।

मुहब्बत की बेपनाह पर तुझसे बहुत नाउम्मीदी है,
लुटाया ख़ुद को तुझपर, हुआ तू कब ही हमारा है।— % & ♥️ Challenge-881 #collabwithकोराकाग़ज़

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nazarbiswas3269

Nazar Biswas

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