ये किसने मेरे ज़ख़्म पे मरहम लगा दिया अच्छे खांसे दर्द को किसने दबा दिया मुददत से दफ़न इक हँसी डूबी थी दर्द में शैतान दोस्तों ने फिर आकर हँसा दिया ©Shamsul Hasan Shams ये किसने मेरे ज़ख़्म पे मरहम लगा दिया अच्छे खांसे दर्द को किसने दबा दिया मुददत से दफ़न इक हँसी डूबी थी दर्द में शैतान दोस्तों ने फिर आकर हँसा दिया शमसुल हसन शम्स