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तुम्हें ज़रा सा देख लूं तो, उलझन कम हो जाती हैं, अ

तुम्हें ज़रा सा देख लूं तो,
उलझन कम हो जाती हैं,
अगर न देखूं ज़रा सा भी,
तो आंखें नम हो जाती हैं।
क्या रिश्ता है वो रब जाने,
दिल की बातें तो सब जाने,
हर गालियों में फिरता हूं
जाने क्यूं तुम पे मरता हूं,
हमको कोई तुम गहरा ख़्वाब दो,
बस तुम आके हमको ये जवाब दो।

©Arjun dheer writer मुहब्बत अर्जुन धीर,
शायरी कोट्स

#Childhood
तुम्हें ज़रा सा देख लूं तो,
उलझन कम हो जाती हैं,
अगर न देखूं ज़रा सा भी,
तो आंखें नम हो जाती हैं।
क्या रिश्ता है वो रब जाने,
दिल की बातें तो सब जाने,
हर गालियों में फिरता हूं
जाने क्यूं तुम पे मरता हूं,
हमको कोई तुम गहरा ख़्वाब दो,
बस तुम आके हमको ये जवाब दो।

©Arjun dheer writer मुहब्बत अर्जुन धीर,
शायरी कोट्स

#Childhood