एक रोज़ यूँही मेरी जूते से थोड़ी बात हो गई इस तरह उसकी तकलीफ़ से मेरी मुलाकात हो गई। कोई उसे मंदिर नहीं ले जाता है अधूरा बिन भगवन इस बात पर आँखों से आसुओं की बरसात हो गई। समझाना मेरा उसे किसी काम ना आया पूरा दिन जाने कब सुबह से शुरू तर्क, और रात हो गई। मैंने कहा तुझे ग़म मंदिर ना जाने का है या कुछ और मेरी पूछी बात कड़वी लगी, और आघात हो गई। कहते हैं अंत भला तो सब भला ही होता है 'कुमार' भगवन है दिल में, सहमति उसकी मेरे साथ हो गई! बहुत जिद्दी था जूता पर इस बात पर मेरे साथ था कि भगवन के लिए मंदिर नहीं, दिल चाहिए और उसका दिल बहुत विशाल है..! #kumaarsthought #kumaartalkingnonlivingthings #abstractwriting #जूता #मंदिर #दिल #भगवन