आशा और उम्मीद, दो पहीयो से जिंदगी कीे गाड़ी चलते चलते आगे बढ़ते हैं............ मंजिल तक पाने के लिये ..............। "उम्मीद" ((उम्मीद दिल मे हो जब , मिलेगी अपनी मंजिल तब । पर उम्मीद तो नही रखना ओरो से , रखना तो है उम्मीद अपने आप से । अगर सपना देखोगी किसीका उम्मीद बनकर खरे उतरना जरूर कर पाओगी अपनी मंजिल को साकार करना। र.राजबंशी.. र #उम्मीद #आशायें