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कर दो ना आबाद रश्मियां छितराती तो हैं गगन लालिमा ब

कर दो ना आबाद
रश्मियां छितराती तो हैं
गगन लालिमा बंधती तो है
शीतलता अब भी विद्दमान है
राग भोर गूँजती तो है
तुहिन कण में विरले ही कोई है रोता
ब्रह्मवेला सदा है अपना देता
ऋतुएँ आती-जाती हैं
हवा भी भाती है
जग सहारा हो
अनुकूलता तुम्हारा हो
आबाद करो भोर
तेज बढाओ!
(धुन जी, कोलेब की प्रेरणा में ) 
सुप्रभात 🙏🌻


#बादलों_के_पार 
#जागतीआँखें 
#सुबह_का_ख्याल 
#भोर_का_सपना
कर दो ना आबाद
रश्मियां छितराती तो हैं
गगन लालिमा बंधती तो है
शीतलता अब भी विद्दमान है
राग भोर गूँजती तो है
तुहिन कण में विरले ही कोई है रोता
ब्रह्मवेला सदा है अपना देता
ऋतुएँ आती-जाती हैं
हवा भी भाती है
जग सहारा हो
अनुकूलता तुम्हारा हो
आबाद करो भोर
तेज बढाओ!
(धुन जी, कोलेब की प्रेरणा में ) 
सुप्रभात 🙏🌻


#बादलों_के_पार 
#जागतीआँखें 
#सुबह_का_ख्याल 
#भोर_का_सपना