फूल खिले मन आँगन में, महक रहा घर संसार, जो मन की बगिया खिली रहे, तो छाए चारों और 'नेह' की बहार, छोड़ आपस के बैर-द्वेष, तोड़ो जाति-धर्म की दीवार, जोड़ कर रखो प्रीत के धागे, जिंदगी के दिन बस चार। ज़रा सी धूप का जादू तो देखो, खिलें हैं फूल मन आँगन में कितने #मनआँगनमें #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #नेहसंदेश #drnehagoswami