।। ॐ ।। वि॒भूर॑सि प्र॒वाह॑णो॒ वह्नि॑रसि हव्य॒वाह॑नः। श्वा॒त्रो᳖ऽसि प्रचे॑तास्तु॒थो᳖ऽसि वि॒श्ववे॑दाः ॥ पद पाठ वि॒भूरिति॒ वि॒ऽभूः। अ॒सि॒। प्रवा॒ह॑णः। प्रवा॒ह॑न॒ इति॑ प्र॒ऽवाह॑नः। वह्निः॑। अ॒सि॒। ह॒व्य॒वाह॑न॒ इति॑ हव्य॒ऽवाह॑नः। श्वा॒त्रः। अ॒सि॒। प्रचे॑ता॒ इति॒ प्रऽचे॑ताः। तु॒थः। अ॒सि॒। वि॒श्ववे॑दा॒ इति॑ वि॒श्वऽवे॑दाः ॥ सब मनुष्यों को उचित है कि ईश्वर और विद्वान् का सत्कार करना कभी न छोड़ें, क्योंकि अन्य किसी से विद्या और सुख का लाभ नहीं हो सकता है। It is right for all human beings to never stop admiring God and scholars, because knowledge and happiness cannot be benefited from anyone else. ( यजुर्वेद ५.३१ ) #yajurved #Veda #Pleasure #knowledge #Scholar #God