बंटवारा बांट लिए सब घर चौबारे, हुए भाई जब न्यारे-न्यारे खेत भी मांगें, घर भी मांगें .....मांगें है सामान सभी आज फिर से पिता पर हाथ उठाया खबर मिली मुझे अभी-अभी .................................. बहन के तीज-त्यौहार देन प भाई भी नाक चढावै हैं ना बोल्या कर मां-बाबू त, कुछ घरआली समझावैं हैं अरे पाल-पोसके बडा किया उन्हें मिलता क्यू सम्मान नहीं खेत भी मांगें, घर भी मांगें .... मागें है सामान सभी ........ कुमार हरीश...