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मैं अज्ञानी हूँ अभिमानी मुझसा नहीं कोई अनजान तुम त

मैं अज्ञानी हूँ अभिमानी मुझसा नहीं कोई अनजान
तुम तो करुणा के सागर हो बिनती सुनो कृपा निधान
आ जाओ 'उर' में मिट जाये काली अंधियारी ये रात
तेरी महिमा से बन जाये बिगड़ी हुई मेरी हर बात
पत्थर भी तो तर जाते हैं लिखा हुआ हो हरि का नाम
रट ले हर दम नमामि राम नमामि राम नमामि राम

©कवि मनोज कुमार मंजू #Ramnavami 
#नमामि_राम 
#रामनवमी 
#मनोज_कुमार_मंजू 
#मँजू
मैं अज्ञानी हूँ अभिमानी मुझसा नहीं कोई अनजान
तुम तो करुणा के सागर हो बिनती सुनो कृपा निधान
आ जाओ 'उर' में मिट जाये काली अंधियारी ये रात
तेरी महिमा से बन जाये बिगड़ी हुई मेरी हर बात
पत्थर भी तो तर जाते हैं लिखा हुआ हो हरि का नाम
रट ले हर दम नमामि राम नमामि राम नमामि राम

©कवि मनोज कुमार मंजू #Ramnavami 
#नमामि_राम 
#रामनवमी 
#मनोज_कुमार_मंजू 
#मँजू