अब आँखों में ख्वाबों की हसरत नहीं रहती, तुम्हारे सिवा कहीं ओर अब बरक़त नहीं होती। ये जो आरोप घड़ते हैं, इल्ज़ाम लगाते हैं, ये जानते हैं, काठ की हांडी बार-२ नहीं चढ़ती। #yqhindi #yqhasrat #yqbarkat #yqaarop #yqiljam