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आख़िरिश हमको घर से निकलना पड़ा वक्त बदला तो हम

आख़िरिश हमको घर से निकलना  पड़ा 
 वक्त  बदला तो  हमको   बदलना  पड़ा 

जिस गली में न  जाने  की खाई  कसम 
उस गली से भी आख़िर गुज़रना   पड़ा 

हमकदम न मिला हमसफर   न   मिला 
भीड़  में  हमको तन्हा  ही चलना पड़ा 

चलते चलते जहां पे  कदम  रुक  गये 
हादसों को  भी  रस्ता   बदलना  पड़ा 

आदतन  शमा महफ़िल  में रौशन हुई
फितरतन  परवानों  को जलना  पड़ा 
अनु "इंदु " अनु मित्तल ' इंदु '
आख़िरिश हमको घर से निकलना  पड़ा 
 वक्त  बदला तो  हमको   बदलना  पड़ा 

जिस गली में न  जाने  की खाई  कसम 
उस गली से भी आख़िर गुज़रना   पड़ा 

हमकदम न मिला हमसफर   न   मिला 
भीड़  में  हमको तन्हा  ही चलना पड़ा 

चलते चलते जहां पे  कदम  रुक  गये 
हादसों को  भी  रस्ता   बदलना  पड़ा 

आदतन  शमा महफ़िल  में रौशन हुई
फितरतन  परवानों  को जलना  पड़ा 
अनु "इंदु " अनु मित्तल ' इंदु '
anumittal9840

Anu Mittal

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