इंतज़ार कुछ पलों का सदियों में बदल गया, ज़र्रा-ज़र्रा मेरा,मेरा होकर भी तुझमें ढल गया, मिलने की तरकीबें बोझ है इस दिल पर, इंतजार ही कर रही हैं,तुम तक पहुँचकर, तू मेरा हो मेरा ही रह जाए, इंतज़ार की बेड़ियाँ मेरी कट जाए। कामिल हो इंतजार,सब मेरे, शामिल हो तू इश्क़ में मेरे। 👉6 से 8 पंक्तियों में ' इन्तजार ' पर अपनी रचना करें । (7 फरवरी प्रतियोगिता विषय) 👉@ Collab करने के बाद कमेंट में Done लिखें । 👉11:00 pm तक आपको रचना पोस्ट कर दें । 👉यह एक काव्य प्रतियोगिता है जिसमें कवियों को एक विषय दिया जायेगा जिससे सम्बंधित नियम उस विषय के caption में रहेगा । 👉@ प्रतिदिन एक रचना को विजयी घोषित किया जायेगा तथा नवरचना साहित्य पब्लिकेशन्स की टीम यदि दो रचनाओं में विभेद नहीं कर पाती है तो दोनों रचनाओं को सामान रूप से विजयी घोषित किया जायेगा ।(note -बाद में top 10 फरवरी विजेत