यूँ राज़ छिपाते हैं। बचक़ानी हरक़तों से, यूँ दिल को जलाते हैं। पास नहीं आते , न दूर ही जाते हैं। रिश्ता गर नहीं कोई, फिर याद क्यों आते हैं। सुनते नहीं हमारी , न ख़ुद ही सुनाते हैं। वो सब को हँसाते हैं, हम को ही रुलाते हैं। "फिराक़", इस जहाँ से, हम ही चले जाते हैं। लिखते हैं, मिटाते हैं... #लिखतेमिटाते #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi