मेरे "अल्फ़ाज़ "हैं , या राज़ हैं,या फिर कहूं जज्बात हैं या है मेरा रिश्ता जो तुमसे , बस कागजों पर आ गया तुम दूर हो या पास हो कहना ज़रा मुश्किल सा है क्योंकि तुम्हारे बिन मेरा रहना ज़रा मुश्किल सा है आस हो, विश्वास हो,या फिर कहूं कि खास हो क्योंकि तुम्हारे साथ हो कर मुझको हंसना आ गया। #मन_के_अल्फ़ाज़ #अल्फ़ाज़१bymka Mukesh Solanki "मन"