#OpenPoetry काश…काश… कहने की हैं बातें डरता हूँ जब सोता हूँ रातें सोचता हूँ काश हम मिलें कुछ बोलें दर्द सिले कुछ न टोले चाहता नहीं हूँ पर चाहता भी हूँ क्यों यह रिश्ता नहीं जाता बरिस्ता चलो कुछ लम्हों के लिए बन जाओ मेरे लिए मैं रहूँ तुम्हारी बाहों में और तुम मेरी सांसों में काश …काश … #Anjali kash kash