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हम लडके लडकियां बिल्कुल दो समान्तर रेखों से बैठा क

हम लडके लडकियां बिल्कुल दो समान्तर रेखों से बैठा करते थे।एक दूसरे के सामने होकर भी कभी मिलते नहीं थे।
 टीचर्स डे हमारे लिए वो अनंत का बिंदू था,
 शायद जहां वो रेखाएं मिल जाती हैं।
...#जलज कुमार

©JALAJ KUMAR RATHOUR ग्यारहवीं में हमारी क्लास लड़कियों के साथ लगने लगी थी।
हम लडके लडकियां बिल्कुल दो समान्तर रेखों से बैठा करते थे।एक दूसरे के सामने होकर भी कभी मिलते नहीं थे। टीचर्स डे हमारे लिए वो अनंत का बिंदू था शायद जहां वो रेखाएं मिल जाती हैं।पहली बार गर्ल्स और ब्वॉयज कैप्टन ने मिलकर प्लान बनाया था।क्लास को सजाने का और सभी गुरुजनों को बुलाने का। सभी लोगों ने मिलकर चंदा किया था। सभी साजो सज्जा का सामान लेने हम पूरे बाजार में घूमे थे। समान लाकर हमने पूरे कमरे को सजाना शुरू कर दिया था।कैप्टन बोल रही थी" जितनी सफाई यहां कर रही हूं।उतना अगर अपने घर पर कर देती तो शायद मम्मी आज मुझे शबासी देती और ये लडके देखो नुक्स निकाल रहे हैं।"। हम सब लोग हंसने लगे थे।तभी पीछे से एक लड़की बोली "यार ये तो मंदिर है हमारे लिए।" उस दिन मैंने पहली बार देखा था उसे।लेकिन ऐसा लग रहा था जैसे सदियों से उस से मेरा कोई रिश्ता रहा हो।आंखों में काजल दो बुनी हुई चोटियां और होठों पर लिपिस्टिक (शायद टीचर्स डे की वजह से) लगाए हुई वो लडकी मुझे भा गई थी जैसे किसी बच्चे को भाता है मेले दुकान पर सजा हुआ कोई अजीज खिलौना।तभी ब्वॉयज कैप्टन  मुझसे बोला भाई वो थोड़ा "सांझ" की मदद करदे ब्लैक बोर्ड पर हैप्पी टीचर्स डे लिखने में।सांझ नाम था उसका।रंग बिरंगी चौक के डिब्बे को अपने हाथो में थाम मैं खड़ा था उसके पास ।जीवन का वो पहला दिन था जब मुझे ब्लैक बोर्ड पर लिखा हुआ अच्छा लगा रहा था। तभी कैप्टन आया और बोला सर आ रहें हैं।उसने जल्दी से मेरे हाथों में चौक थमाई और बोली "थैंक्स"। थोडे ही देर मैं सर आ गए सब लोगो ने मिलकर केक काटी। उस दिन मैंने उस से अपने प्रेम का इजहार उसे अपने हिस्से की  दो इक्लेयर टॉफी ज्यादा देकर किया था।शायद उस दिन मैंने पहली बार समझा था। गणित वाले गुरु जी कहते थे" कि प्रेम का दूसरा रूप त्याग है। इसीलिए मैं अपने बच्चों से दूर हूं सिर्फ तुम्हारी खातिर।"....#जलज कुमार

#हम शायद नहीं जानते एक शिक्षक हमारे लिए क्या क्या त्याग करता है।वो हमारे लिए अपनो के समारोह वगैरा में अपने बच्चों की खुशियों में शरीक नहीं हो पाता क्यूंकि हमारे पेपर से पहले हमारा कोर्स कराना होता है। इसी लिए शिक्षको का सम्मान करे।

#शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं
हम लडके लडकियां बिल्कुल दो समान्तर रेखों से बैठा करते थे।एक दूसरे के सामने होकर भी कभी मिलते नहीं थे।
 टीचर्स डे हमारे लिए वो अनंत का बिंदू था,
 शायद जहां वो रेखाएं मिल जाती हैं।
...#जलज कुमार

©JALAJ KUMAR RATHOUR ग्यारहवीं में हमारी क्लास लड़कियों के साथ लगने लगी थी।
हम लडके लडकियां बिल्कुल दो समान्तर रेखों से बैठा करते थे।एक दूसरे के सामने होकर भी कभी मिलते नहीं थे। टीचर्स डे हमारे लिए वो अनंत का बिंदू था शायद जहां वो रेखाएं मिल जाती हैं।पहली बार गर्ल्स और ब्वॉयज कैप्टन ने मिलकर प्लान बनाया था।क्लास को सजाने का और सभी गुरुजनों को बुलाने का। सभी लोगों ने मिलकर चंदा किया था। सभी साजो सज्जा का सामान लेने हम पूरे बाजार में घूमे थे। समान लाकर हमने पूरे कमरे को सजाना शुरू कर दिया था।कैप्टन बोल रही थी" जितनी सफाई यहां कर रही हूं।उतना अगर अपने घर पर कर देती तो शायद मम्मी आज मुझे शबासी देती और ये लडके देखो नुक्स निकाल रहे हैं।"। हम सब लोग हंसने लगे थे।तभी पीछे से एक लड़की बोली "यार ये तो मंदिर है हमारे लिए।" उस दिन मैंने पहली बार देखा था उसे।लेकिन ऐसा लग रहा था जैसे सदियों से उस से मेरा कोई रिश्ता रहा हो।आंखों में काजल दो बुनी हुई चोटियां और होठों पर लिपिस्टिक (शायद टीचर्स डे की वजह से) लगाए हुई वो लडकी मुझे भा गई थी जैसे किसी बच्चे को भाता है मेले दुकान पर सजा हुआ कोई अजीज खिलौना।तभी ब्वॉयज कैप्टन  मुझसे बोला भाई वो थोड़ा "सांझ" की मदद करदे ब्लैक बोर्ड पर हैप्पी टीचर्स डे लिखने में।सांझ नाम था उसका।रंग बिरंगी चौक के डिब्बे को अपने हाथो में थाम मैं खड़ा था उसके पास ।जीवन का वो पहला दिन था जब मुझे ब्लैक बोर्ड पर लिखा हुआ अच्छा लगा रहा था। तभी कैप्टन आया और बोला सर आ रहें हैं।उसने जल्दी से मेरे हाथों में चौक थमाई और बोली "थैंक्स"। थोडे ही देर मैं सर आ गए सब लोगो ने मिलकर केक काटी। उस दिन मैंने उस से अपने प्रेम का इजहार उसे अपने हिस्से की  दो इक्लेयर टॉफी ज्यादा देकर किया था।शायद उस दिन मैंने पहली बार समझा था। गणित वाले गुरु जी कहते थे" कि प्रेम का दूसरा रूप त्याग है। इसीलिए मैं अपने बच्चों से दूर हूं सिर्फ तुम्हारी खातिर।"....#जलज कुमार

#हम शायद नहीं जानते एक शिक्षक हमारे लिए क्या क्या त्याग करता है।वो हमारे लिए अपनो के समारोह वगैरा में अपने बच्चों की खुशियों में शरीक नहीं हो पाता क्यूंकि हमारे पेपर से पहले हमारा कोर्स कराना होता है। इसी लिए शिक्षको का सम्मान करे।

#शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं