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फिर कोई न वैसा भाता है, जब दिल से कोई जाता है,

फिर कोई न वैसा भाता है, 
जब दिल से कोई जाता है, 

इक जख्म छोड़ जाता ऐसा,
जो कभी नहीं भर पाता है, 

ढह जाता है विश्वास अजर, 
मन में गम घर कर जाता है,

पीड़ा  का  पारावार  नहीं !
मन नाहक शोर मचाता है, 

साहिल से टकराती लहरें,
सागर जब दर्द सुनाता है,

नभ में छा जाते उमड़-घुमड़, 
सावन घन गीत सुनाता है, 

है  प्रेम प्राण  का  स्पंदन, 
तन्हाई में दिल घबराता है, 

यादें तड़पाती जीवन भर, 
'गुंजन' मन भूल न पाता है, 
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
   चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #फिर कोई न वैसा भाता है#
फिर कोई न वैसा भाता है, 
जब दिल से कोई जाता है, 

इक जख्म छोड़ जाता ऐसा,
जो कभी नहीं भर पाता है, 

ढह जाता है विश्वास अजर, 
मन में गम घर कर जाता है,

पीड़ा  का  पारावार  नहीं !
मन नाहक शोर मचाता है, 

साहिल से टकराती लहरें,
सागर जब दर्द सुनाता है,

नभ में छा जाते उमड़-घुमड़, 
सावन घन गीत सुनाता है, 

है  प्रेम प्राण  का  स्पंदन, 
तन्हाई में दिल घबराता है, 

यादें तड़पाती जीवन भर, 
'गुंजन' मन भूल न पाता है, 
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
   चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #फिर कोई न वैसा भाता है#