जब हम घर से कम से कम निकलेंगे, तभी आए इस वादी-ए-ग़म से निकलेंगे, जिनको बड़ी नाज़ थी अपने जौहर पर, अब वो भी लोग इस वहम से निकलेंगे, चलो अब आदमी से इंसा बन जाते हैं, मिलकर सारे दैर-ओ-हरम से निकलेंगे, जो बला आयी हैं इसे टल जाने दो यारो, फिर हर रोज एक नयी उमंग से निकलेंगे, वादा करो घर्म के नाम पर जुदा नहीं होंगे, मिलकर इस मजहबी जंग से निकलेंगे, यहां बेजुबान रंगों को लोगो ने बाट दिया, हम केसरियां और हरे रंग से निकलेंगे! Insta-@khoya_shayar वादी-ए-ग़म~दुःख का सागर दैर-ओ-हरम~मंदिर और मस्जिद #lockdown #life #poetry #nojoto #trend