इश्क की गलियों का दीदार कर आया। किसी की जुल्फ़ों से मैं प्यार कर आया। जानता हूं उनकी हर एक बाते झूठी है। हां मगर दिल के हाथों ऐतबार कर आया। दिल के कई फसाने जमाने ने सुनाई थी। मैं भी आज दिलों का व्यापार कर आया। नींद का आंखों से मारासिम अब न रही। कल शब जो उनसे आँखें चार कर आया। खिज़ा को ईद बात का गुमां तो होगा ही। नाज़ुक कलियों को खार खार कर आया। उसी के बज्म मे उसी का दिल तोड़ था। हुस्न वालों को जय ज़ार-ज़ार कर आया। मृत्युंजय विश्वकर्मा ©mritunjay Vishwakarma "jaunpuri" ग़ज़ल #mjaivishwa #mritunjay'sbest #BestSher #worldbestcomposition #Thoughts