कितने आजाद? इन कामयाबीयों के बीच में अभी कुछ पाना बाकी भी है कन्या को देवी मानने वाले देश में औरत को सम्मान दिलाना बाकी ही है जनसंख्या पर नियंत्रण, भ्रष्टाचार से छूट वहीं धर्म प्रांत और जात-पात का भेद मिटाना अभी बाकी ही है हां भूलना मत आजादी पाना आसान नहीं था आजादी पाना आसान नहीं है और आजादी पाना फिर आसान नहीं होगा मुश्किलों से मिली हुई आजादी इससे मुश्किल है उसे बचाए रखना आगे राह में आएंगी और कई मुश्किलें मगर हर किमत पर देश का ताज उसके सर पर सजाए रखना (full poem in caption) ©सुषमा तिवारी कितने आजाद? बड़ी बड़ी लंबी लड़ाईयों बड़ी-बड़ी कुर्बानियों के बाद देखा था पूर्वजों ने जिसका सपना वह आजादी मिल ही गई आजादी भला कहां होती है पुरानी? वह तो हर पल लगती है नई पर सोचने वाली बात है कि