ख़ुल्द-सी है, तेरी बाहों की पनाहगाह मुझे अपनी मोहब्बत दे,फ़रिश्ता न बना मुझे सुन मेरे दिल के मालिक ज़रा तू मलिका-ए-जहाँ न बना मुझे हैरत में हूँ मुसलसल आजकल हसीन ख़्वाबों की दुनिया न दिखा मुझे रेगज़ार की नाचीज़ पैदाइश हूँ मैं तू गुलाब-ए-चमन न समझ मुझे फ़कत धूल का गुबार ही तो हूँ फिज़ा-ए-जन्नत समझने की भूल न कर मुझे 🌹 ख़ुल्द-सी है, तेरी बाहों की पनाहगाह मुझे अपनी मोहब्बत दे,फ़रिश्ता न बना मुझे सुन मेरे दिल के मालिक ज़रा तू मलिका-ए-जहाँ न बना मुझे हैरत में हूँ मुसलसल आजकल हसीन ख़्वाबों की दुनिया न दिखा मुझे