जैसे ही गुनगुनाता हूं तेरा नाम जुबान पर तेरे नाम के साथ साथ तुम भी चली आती हो अब अकेला नहीं रहता हूं तुम भी साथ रहती हो बिस्तर की सिलवटों मैं भी तुम मेरे पास रहती हो हर पल हर लम्हा तेरी याद आती है नाजाने कैसी तकलीफ़ें है जो मुझे रास आती है चैन बेचैन रहे हर पल हर लम्हा सुबह हो दोपहर हो दिन हो रात हो तेरी याद आती है जैसे ही गुनगुनाता हूं तेरा नाम जुबान पर तेरे नाम के साथ साथ तुम भी चली आती हो