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क्यूँ मुश्किल से डरते हो तुम,क्यूँ कर्मों से डरते

क्यूँ मुश्किल से डरते हो तुम,क्यूँ कर्मों से डरते हो,
क्या है जो तुम कर नही सकते, क्यूँ मंजिल से डरते हो,
धरती ने भी बोझ उठाया,पर्वत भी पत्थर संग जीता,
नदियाँ भी सागर में गिरती, वन में हिरन संग में चीता,
कौन बताओ जो बिन मुश्किल के इस दुनिया में जीता,
है कायर जो मानव बनकर मरने को भी विष पीता,
जन्म लिया तो भ्रम काहे का क्यूँ जीने से डरते हो,
क्या डरपोक, अधीर अचल से, सबसे डर के रहते हो,
कुछ तो लाज रखो उस रब की जिसने तुम्हे बनाया था,
तन मन से मजबूती दी और हर कौशल सिखलाया था,
पता चलेगा बहुत डरेगा तुम जैसे डरपोकों से,
फिर तो सोच समझकर देगा मानव वो उन लोकों से. #क्यूँ डरते हो#
क्यूँ मुश्किल से डरते हो तुम,क्यूँ कर्मों से डरते हो,
क्या है जो तुम कर नही सकते, क्यूँ मंजिल से डरते हो,
धरती ने भी बोझ उठाया,पर्वत भी पत्थर संग जीता,
नदियाँ भी सागर में गिरती, वन में हिरन संग में चीता,
कौन बताओ जो बिन मुश्किल के इस दुनिया में जीता,
है कायर जो मानव बनकर मरने को भी विष पीता,
जन्म लिया तो भ्रम काहे का क्यूँ जीने से डरते हो,
क्या डरपोक, अधीर अचल से, सबसे डर के रहते हो,
कुछ तो लाज रखो उस रब की जिसने तुम्हे बनाया था,
तन मन से मजबूती दी और हर कौशल सिखलाया था,
पता चलेगा बहुत डरेगा तुम जैसे डरपोकों से,
फिर तो सोच समझकर देगा मानव वो उन लोकों से. #क्यूँ डरते हो#