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क्यों कम्बख़त, तू इतना दर्द देता है मुझे, तुझे दर्

क्यों  कम्बख़त, तू इतना दर्द देता है मुझे,
तुझे दर्द देने की आदत बन गयी और मुझे सहने की।
अब तो थोड़ा सा और निखरना सीखना है,
फिर तो हमारा, और हमारा ही काफिला होगा। #ऐ_जिंदगी
क्यों  कम्बख़त, तू इतना दर्द देता है मुझे,
तुझे दर्द देने की आदत बन गयी और मुझे सहने की।
अब तो थोड़ा सा और निखरना सीखना है,
फिर तो हमारा, और हमारा ही काफिला होगा। #ऐ_जिंदगी